Sunday, June 21, 2020

ग़ज़ल


     2122          2122         212

१)लाज का घूँघट उठाओ तो सही
चाँद सा मुखड़ा दिखाओ तो सही

२)नफ़रतें मिटती रहेंगी खुद-ब-खुद
प्यार के गुलशन खिलाओ तो सही

३)बंदिशें ही क़त्ल करती वस्ल का
तुम हया की तह हटाओ तो सही

४)मरने"को तैयार हैं हम बारहा
तीर नजरों से चलाओ तो सही

५)जिस्म है फ़ानी भला किस काम का
रूह 'निधि' की आजमाओ तो सही


-निधि सहगल 'विदिता'

छत की मुँडेर

मेरी छत की मुंडेर, चिड़ियों की वो टेर, इन वातानुकूलित डिब्बों में खो गई, बचपन के क़िस्सों संग अकेली ही सो गई, होली के बिखरे रंग फीके हैं पड़ गए...